Tuesday, 7 July 2015
Wednesday, 1 July 2015
राष्ट्रीय मानवाधिकार सुरक्षा संस्थान भारत द्वारा गोद लिया
Ankum Singh Chauhan
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राष्ट्रीय मानवाधिकार सुरक्षा संस्थान भारत द्वारा गोद लिया गया माँ बाप से बंचित बालक विजय को मिला अपना भाई मोनूअब विजय और मोनू दोनों की जिम्मेदारी उठाएगा हमारा संस्थान1 जुलाई से जायेंगे स्कूलराष्ट्रीय मानवाधिकार सुरक्षा संस्थान भारत के सभी सदस्य और पदाधिकारियों से में निवेदन करता हूँ इन बच्चों की मदद के लिए आप भी आगे आये ।जिससे हमारे संस्थान द्वारा इन बच्चों का भविष्य उज्जवल हो सकेअगर कोई भी व्यक्ति इन बच्चों की मदद करना चाहता है। तो हमारे नंबर 08273704636 पर संपर्क कर सकते हैहमारा संस्थान ईश्वर से इन बच्चों के उज्जवल भविष्य की प्रार्थना करता है —
Ankum Singh Chauhan President Kanpur Mandal(Youth Wing) -National Human Right Protection Institution
Thursday, 4 June 2015
शिकायत प्रणाली.
Ankum Singh Chauhan
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शिकायत प्रणाली
आयोग का एक प्रमुख जनादेश बाल अधिकार के उल्लंघन संबंधी शिकायत की जाँच करना है। आयोग के लिए यह भी जरूरी है कि वह बाल अधिकारों के गंभीर उल्लंघन की स्थिति में वह स्वतः संज्ञान लेकर मामले की जांच करें कि कौन से तत्व बच्चों को उनके अधिकारों का आनंद उठाने से रोक रही है।
(क) आयोग के समक्ष वह शिकायत संविधान की 8 वीं अनुसूची में वर्णित किसी भी भाषा में की जा सकती है
(ख) इस प्रकार की शिकायत दर्ज कराने के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा
(ग) शिकायत में मामले का पूर्ण विवरण शामिल होगा
(घ) यदि आयोग जरूरी समझे तो अन्य जानकारी / हलफनामा दाखिल करने के लिए कह सकती है
शिकायत करते समय यह सुनिश्चित कर लें कि उसमें निम्न चीजें स्पष्ट हों :
(क) शिकायत स्पष्ट और सुपाठ्य हो तथा किसी छद्म नाम से दाखिल नहीं किया गया हो
(ख) वैसे शिकायत के लिए कोई शुल्क नहीं लिया गया हो
(ग) जो मुद्दा उठाया हो वह संपत्ति के अधिकार व संविदा दायित्वों जैसे सिविल विवाद से जुड़ा हुआ नहीं हो
(घ) उठाया गया मुद्दा सेवा मुद्दों से संबंधित नहीं हों
(ङ) वह मामला संविधान के अंतर्गत गठित किसी आयोग या उसके अधीन कार्यरत किसी प्राधिकार के समक्ष लम्बित नहीं हो
(च) मामले का किसी आयोग द्वारा पहले ही निष्पादन नहीं कर दिया गया हो
(छ) किसी अन्य आधार पर आयोग के क्षेत्राधिकार से बाहर नहीं हो
सभी शिकायतें व्यक्तिगत रूप से, डाक से या किसी अन्य व्यक्ति के माध्यम से निम्न पते पर भेजा जा सकता है-
(क) आयोग के समक्ष वह शिकायत संविधान की 8 वीं अनुसूची में वर्णित किसी भी भाषा में की जा सकती है
(ख) इस प्रकार की शिकायत दर्ज कराने के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा
(ग) शिकायत में मामले का पूर्ण विवरण शामिल होगा
(घ) यदि आयोग जरूरी समझे तो अन्य जानकारी / हलफनामा दाखिल करने के लिए कह सकती है
शिकायत करते समय यह सुनिश्चित कर लें कि उसमें निम्न चीजें स्पष्ट हों :
(क) शिकायत स्पष्ट और सुपाठ्य हो तथा किसी छद्म नाम से दाखिल नहीं किया गया हो
(ख) वैसे शिकायत के लिए कोई शुल्क नहीं लिया गया हो
(ग) जो मुद्दा उठाया हो वह संपत्ति के अधिकार व संविदा दायित्वों जैसे सिविल विवाद से जुड़ा हुआ नहीं हो
(घ) उठाया गया मुद्दा सेवा मुद्दों से संबंधित नहीं हों
(ङ) वह मामला संविधान के अंतर्गत गठित किसी आयोग या उसके अधीन कार्यरत किसी प्राधिकार के समक्ष लम्बित नहीं हो
(च) मामले का किसी आयोग द्वारा पहले ही निष्पादन नहीं कर दिया गया हो
(छ) किसी अन्य आधार पर आयोग के क्षेत्राधिकार से बाहर नहीं हो
सभी शिकायतें व्यक्तिगत रूप से, डाक से या किसी अन्य व्यक्ति के माध्यम से निम्न पते पर भेजा जा सकता है-
Ankum Singh Chauhan President Kanpur Mandal(Youth Wing) -National Human Right Protection Institution
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग
Ankum Singh Chauhan
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राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग
बाल अधिकार संरक्षण के लिए राष्ट्रीय आयोग (एनसीपीसीआर) सार्वभौमिकता और बाल अधिकारों की पवित्रता के सिद्धांत पर जोर देती है और देश की नीतियों संबंधित सभी बच्चे में तात्कालिकता के स्वर को पहचानता है। आयोग के लिए, 0 से 18 वर्ष आयु समूह के सभी बच्चों की सुरक्षा को समान महत्व का है। आयोग के लिए, बच्चे को भी आनंद मिलता है हर सही पारस्परिक रूप से मजबूत और दूसरे पर आश्रित के रूप में देखा जाता है। इसलिए अधिकार के उन्नयन का मुद्दा ही नहीं उठता। उसे 18 साल में उसके सभी अधिकारों का आनंद ले रहे एक बच्चे को वह पैदा होता है समय से उसके सारे हकों के लिए उपयोग पर निर्भर है। इस प्रकार की नीतियों उपायों सभी चरणों में महत्व ग्रहण. आयोग के लिए, बच्चों के सभी अधिकार बराबर महत्व के हैं।
जनादेश
Ankum Singh Chauhan
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जनादेश
बाल मजदूरी उन्मूलन हेतु आयोग की रणनीति व सिफारिशें
शारीरिक दंड पर प्रतिबंध अधिनियम के अंतर्गत आयोग के निम्नलिखित दायित्व हैं :
(क) किसी विधि के अधीन बच्चों के अधिकारों के संरक्षण के लिए सुझाये गये उपायों की निगरानी व जांच करना जो उनके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए वर्तमान केंद्र सरकार को सुझाव देते हैं|
(ख) उन सभी कारकों की जांच करना जो आतंकवाद, सांप्रदायिक हिंसा, दंगों, प्राकृतिक आपदा, घरेलू हिंसा, एचआईवी /एड्स, तस्करी, दुर्व्यवहार, यातना और शोषण, वेश्यावृत्ति और अश्लील साहित्य से प्रभावित बच्चों के खुशी के अधिकार व अवसर को कम करती है और उसके लिए उपचारात्मक उपायों का सुझाव देना|
(ग) ऐसे संकटग्रस्त, वंचित और हाशिये पर खड़े बच्चे जो बिना परिवार के रहते हों और कैदियों के बच्चों से संबंधित मामलों पर विचार करना और उसके लिए उपचारात्मक उपायों का सुझाव देना|
(घ) समाज के विभिन्न वर्गों के बीच बाल अधिकार साक्षरता का प्रसार करना और बच्चों के लिए उपलब्ध सुरक्षोपाय के बारे में जागरूकता फैलाना|
(ङ) केन्द्र सरकार या किसी राज्य सरकार या किसी अन्य प्राधिकारी सहित किसी भी संस्थान द्वारा चलाए जा रहे सामाजिक संस्थान जहां बच्चों को हिरासत में या उपचार के उद्देश्य से या सुधार व संरक्षण के लिए रखा गया हो, वैसे बाल सुधार गृह या किसी अन्य स्थान पर जहाँ बच्चों का निवास हो या उससे जुड़ी संस्था का निरीक्षण करना|
(च) बच्चों के अधिकारों के उल्लंघन की जाँच कर ऐसे मामलों में कार्यवाही प्रारम्भ करना और निम्न मामलों में स्वतः संज्ञान लेना, जहाँ :
बाल अधिकारों का उल्लंघन व उपेक्षा होता हो
बच्चों के विकास और संरक्षण के लिए बनाये गये कानून का क्रियान्वयन नहीं किया गया हो बच्चों के कल्याण और उसे राहत प्रदान करने के लिए दिये गये नीति निर्णयों , दिशा-निर्देशों या निर्देश का अनुपालन नहीं किया जाता हो
जहाँ ऐसे मामले पूर्ण प्राधिकार के साथ उठाये गये हों
बाल अधिकार को प्रभावी बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय संधियों और अन्य अंतरराष्ट्रीय उपकरणों की आवधिक समीक्षा और मौजूदा नीतियों, कार्यक्रमों और अन्य गतिविधियों का अध्ययन कर बच्चों के हित में उसे प्रभावी रूप से क्रियान्वित करने के लिए सिफारिश करना
बाल अधिकार पर बने अभिसमयों के अनुपालन का मूल्यांकन करने के लिए बाल अधिकार से जुड़े मौजूदा कानून, नीति एवं प्रचलन या व्यवहार का विश्लेषण व मूल्यांकन करना और नीति के किसी भी पहलू पर जाँच कर प्रतिवेदन देना जो बच्चों को प्रभावित कर रहा हो और उसके समाधान के लिए नये नियम बनाने का सुक्षाव देना
सरकारी विभागों और संस्थाओं में कार्य के दौरान व स्थल पर बच्चों के विचारों के सम्मान को बढ़ावा देना और उसे गंभीरता से लेना
बाल अधिकारों के बारे में सूचना उत्पन्न करना और उसका प्रचार-प्रसार करना
बच्चों से जुड़े आँकड़े का विश्लेषण व संकलन करना
बच्चों के स्कूली पाठ्यक्रम, शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम और बच्चों की देखभाल करने वाले प्रशिक्षण कर्मियों के प्रशिक्षण पुस्तिका में बाल अधिकार को बढ़ावा देना और उसे शामिल करना...................
शारीरिक दंड पर प्रतिबंध अधिनियम के अंतर्गत आयोग के निम्नलिखित दायित्व हैं :
(क) किसी विधि के अधीन बच्चों के अधिकारों के संरक्षण के लिए सुझाये गये उपायों की निगरानी व जांच करना जो उनके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए वर्तमान केंद्र सरकार को सुझाव देते हैं|
(ख) उन सभी कारकों की जांच करना जो आतंकवाद, सांप्रदायिक हिंसा, दंगों, प्राकृतिक आपदा, घरेलू हिंसा, एचआईवी /एड्स, तस्करी, दुर्व्यवहार, यातना और शोषण, वेश्यावृत्ति और अश्लील साहित्य से प्रभावित बच्चों के खुशी के अधिकार व अवसर को कम करती है और उसके लिए उपचारात्मक उपायों का सुझाव देना|
(ग) ऐसे संकटग्रस्त, वंचित और हाशिये पर खड़े बच्चे जो बिना परिवार के रहते हों और कैदियों के बच्चों से संबंधित मामलों पर विचार करना और उसके लिए उपचारात्मक उपायों का सुझाव देना|
(घ) समाज के विभिन्न वर्गों के बीच बाल अधिकार साक्षरता का प्रसार करना और बच्चों के लिए उपलब्ध सुरक्षोपाय के बारे में जागरूकता फैलाना|
(ङ) केन्द्र सरकार या किसी राज्य सरकार या किसी अन्य प्राधिकारी सहित किसी भी संस्थान द्वारा चलाए जा रहे सामाजिक संस्थान जहां बच्चों को हिरासत में या उपचार के उद्देश्य से या सुधार व संरक्षण के लिए रखा गया हो, वैसे बाल सुधार गृह या किसी अन्य स्थान पर जहाँ बच्चों का निवास हो या उससे जुड़ी संस्था का निरीक्षण करना|
(च) बच्चों के अधिकारों के उल्लंघन की जाँच कर ऐसे मामलों में कार्यवाही प्रारम्भ करना और निम्न मामलों में स्वतः संज्ञान लेना, जहाँ :
बाल अधिकारों का उल्लंघन व उपेक्षा होता हो
बच्चों के विकास और संरक्षण के लिए बनाये गये कानून का क्रियान्वयन नहीं किया गया हो बच्चों के कल्याण और उसे राहत प्रदान करने के लिए दिये गये नीति निर्णयों , दिशा-निर्देशों या निर्देश का अनुपालन नहीं किया जाता हो
जहाँ ऐसे मामले पूर्ण प्राधिकार के साथ उठाये गये हों
बाल अधिकार को प्रभावी बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय संधियों और अन्य अंतरराष्ट्रीय उपकरणों की आवधिक समीक्षा और मौजूदा नीतियों, कार्यक्रमों और अन्य गतिविधियों का अध्ययन कर बच्चों के हित में उसे प्रभावी रूप से क्रियान्वित करने के लिए सिफारिश करना
बाल अधिकार पर बने अभिसमयों के अनुपालन का मूल्यांकन करने के लिए बाल अधिकार से जुड़े मौजूदा कानून, नीति एवं प्रचलन या व्यवहार का विश्लेषण व मूल्यांकन करना और नीति के किसी भी पहलू पर जाँच कर प्रतिवेदन देना जो बच्चों को प्रभावित कर रहा हो और उसके समाधान के लिए नये नियम बनाने का सुक्षाव देना
सरकारी विभागों और संस्थाओं में कार्य के दौरान व स्थल पर बच्चों के विचारों के सम्मान को बढ़ावा देना और उसे गंभीरता से लेना
बाल अधिकारों के बारे में सूचना उत्पन्न करना और उसका प्रचार-प्रसार करना
बच्चों से जुड़े आँकड़े का विश्लेषण व संकलन करना
बच्चों के स्कूली पाठ्यक्रम, शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम और बच्चों की देखभाल करने वाले प्रशिक्षण कर्मियों के प्रशिक्षण पुस्तिका में बाल अधिकार को बढ़ावा देना और उसे शामिल करना...................
Ankum Singh Chauhan President Kanpur Mandal(Youth Wing) -National Human Right Protection Institution
बच्चों के अधिकार पत्र................
Ankum Singh Chauhan
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बच्चों के अधिकार पत्र
वह सभी व्यक्ति एक बच्चा है जो 18 वर्ष से कम आयु का है। अभिभावकों की प्राथमिक जिम्मेदारी है कि वे बच्चों के पोषण और विकास कार्य पर ध्यान दें। राज्य बच्चों के अधिकार का सम्मान करेगी और उसे सुनिश्चित कराएगी।
प्रतिष्ठा व अभिव्यक्ति
प्रतिष्ठा व अभिव्यक्ति
मुझे अपने अधिकार के बारे में जानने का अधिकार है। (अनुच्छेद-42)
मुझे एक बच्चा होने का अधिकार है। इसके लिए यह बात मायने नहीं रखता कि मैं कौन हूँ, कहाँ रहता हूँ, मेरे माता-पिता क्या करते हैं, मैं कौन सी भाषा बोलता हूँ, मैं किस धर्म का पालन करता हूँ, मैं एक लड़का हूँ या एक लड़की, मैं किस संस्कृति का पालन करता हूँ, चाहे मैं अपंग हूँ और मैं एक अमीर या गरीब बच्चा हूँ। इन आधारों पर मेरे साथ किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह इसे जानें। (अनुच्छेद- 2)
मुझे अपने विचारों को स्वतंत्र रूप से अभिव्यक्त करने का अधिकार है जिसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए, और हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह दूसरे व्यक्ति को ध्यान से सुनें। (अनुच्छेद- 12 व 13)
मुझे गलती करने का अधिकार है और सभी व्यक्तियों की जिम्मेदारी है कि उसे स्वीकार करें। हमलोग अपनी गलतियों से सीख सकते हैं। (अनुच्छेद- 28)
मुझे अधिकार है कि मेरी क्षमता कुछ भी होने के बावजूद मुझे शामिल किया जाए और सभी व्यक्तियों की जिम्मेदारी है कि वह दूसरे व्यक्ति (भले ही उसकी क्षमता उसके समान नहीं हो) उसका सम्मान करें। (अनुच्छेद- 23)
विकास
मुझे एक बच्चा होने का अधिकार है। इसके लिए यह बात मायने नहीं रखता कि मैं कौन हूँ, कहाँ रहता हूँ, मेरे माता-पिता क्या करते हैं, मैं कौन सी भाषा बोलता हूँ, मैं किस धर्म का पालन करता हूँ, मैं एक लड़का हूँ या एक लड़की, मैं किस संस्कृति का पालन करता हूँ, चाहे मैं अपंग हूँ और मैं एक अमीर या गरीब बच्चा हूँ। इन आधारों पर मेरे साथ किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह इसे जानें। (अनुच्छेद- 2)
मुझे अपने विचारों को स्वतंत्र रूप से अभिव्यक्त करने का अधिकार है जिसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए, और हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह दूसरे व्यक्ति को ध्यान से सुनें। (अनुच्छेद- 12 व 13)
मुझे गलती करने का अधिकार है और सभी व्यक्तियों की जिम्मेदारी है कि उसे स्वीकार करें। हमलोग अपनी गलतियों से सीख सकते हैं। (अनुच्छेद- 28)
मुझे अधिकार है कि मेरी क्षमता कुछ भी होने के बावजूद मुझे शामिल किया जाए और सभी व्यक्तियों की जिम्मेदारी है कि वह दूसरे व्यक्ति (भले ही उसकी क्षमता उसके समान नहीं हो) उसका सम्मान करें। (अनुच्छेद- 23)
विकास
मुझे अच्छी शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है और सबकी जिम्मेदारी है कि वह बच्चे को स्कूल जाने के लिए प्रेरित करें। (अनुच्छेद- 23, 28 व 29)
मुझे स्वस्थ रहने का अधिकार है और सभी की जिम्मेदारी है कि वह दूसरों को आधारभूत स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने व स्वच्छ जल प्राप्त करने में मदद करें। (अनुच्छेद- 24)
मुझे भरपेट भोजन पाने का अधिकार है और सभी की जिम्मेदारी है कि वे लोगों की भूख से रक्षा करें। (अनुच्छेद- 24)
मुझे पर्यावरण को स्वच्छ रखने का अधिकार है और सबकी जिम्मेदारी है कि वे पर्यावरण को दूषित नहीं करें। (अनुच्छेद- 29)
मुझे खेलने और आराम करने का अधिकार है (अनुच्छेद 31)
देखभाल और संरक्षण
मुझे स्वस्थ रहने का अधिकार है और सभी की जिम्मेदारी है कि वह दूसरों को आधारभूत स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने व स्वच्छ जल प्राप्त करने में मदद करें। (अनुच्छेद- 24)
मुझे भरपेट भोजन पाने का अधिकार है और सभी की जिम्मेदारी है कि वे लोगों की भूख से रक्षा करें। (अनुच्छेद- 24)
मुझे पर्यावरण को स्वच्छ रखने का अधिकार है और सबकी जिम्मेदारी है कि वे पर्यावरण को दूषित नहीं करें। (अनुच्छेद- 29)
मुझे खेलने और आराम करने का अधिकार है (अनुच्छेद 31)
देखभाल और संरक्षण
मुझे प्यार या स्नेह पाने और खतरों व शोषण से सुरक्षा पाने का अधिकार है और सभी व्यक्तियों की जिम्मेदारी है कि वह दूसरों को प्यार दें व उसकी देखभाल करें। (अनुच्छेद-19)
मुझे अपने परिवार में रहने और सुरक्षित व आरामदायक घर पाने का अधिकार है और सभी व्यक्तियों की जिम्मेदारी है कि वे यह सुनिश्चित करें कि सभी बच्चों को का अपना परिवार और एक घर हो। (अनुच्छेद- 9 व 27)
मुझे अपने विरासत और विश्वासों पर गर्व करने का अधिकार है और हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह दूसरे की विरासत व विश्वास का सम्मान करें। (अनुच्छेद- 29 व 30)
मुझे बिना हिंसा और शारीरिक दंड (मौखिक, शारीरिक व भावनात्मक) के रहने का अधिकार है और सभी व्यक्तियों की जिम्मेदारी है कि वह दूसरों के साथ हिंसात्मक व्यवहार न करें। (अनुच्छेद- 2, 28, 37 व 39)
मुझे यौन और आर्थिक शोषण से सुरक्षा पाने का अधिकार है और हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह यह सुनिश्चित करें कि किसी बच्चे को बाल मजदूरी नहीं करनी पड़े और उसे एक स्वतंत्र और सुरक्षित माहौल उपलब्ध हों। (अनुच्छेद- 32 व 34)
मुझे सभी प्रकार के शोषण से सुरक्षा पाने का अधिकार है और सभी व्यक्तियों की जिम्मेदारी है कि वे यह सुनिश्चित करें कि मेरा उपयोग किसी लाभ के लिए नहीं किया जाए। (अनुच्छेद-36)
बच्चों को प्रभावित करने वाले सभी गतिविधियों में बच्चों के सर्वोत्तम हित को प्राथमिकता दी जाएगी ।
ये सभी बाल अधिकार और जिम्मेदारियाँ, संयुक्त राष्ट्र के बाल अधिकार पर 1989 में हुए सम्मेलन में स्वीकार किये गये थे।
इसमें दुनियाभर के सभी बच्चों के लिए स्वीकृत अधिकार को शामिल किया गया है और भारत सरकार ने इस दस्तावेज पर 1992 में हस्ताक्षर किये....................
मुझे अपने परिवार में रहने और सुरक्षित व आरामदायक घर पाने का अधिकार है और सभी व्यक्तियों की जिम्मेदारी है कि वे यह सुनिश्चित करें कि सभी बच्चों को का अपना परिवार और एक घर हो। (अनुच्छेद- 9 व 27)
मुझे अपने विरासत और विश्वासों पर गर्व करने का अधिकार है और हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह दूसरे की विरासत व विश्वास का सम्मान करें। (अनुच्छेद- 29 व 30)
मुझे बिना हिंसा और शारीरिक दंड (मौखिक, शारीरिक व भावनात्मक) के रहने का अधिकार है और सभी व्यक्तियों की जिम्मेदारी है कि वह दूसरों के साथ हिंसात्मक व्यवहार न करें। (अनुच्छेद- 2, 28, 37 व 39)
मुझे यौन और आर्थिक शोषण से सुरक्षा पाने का अधिकार है और हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह यह सुनिश्चित करें कि किसी बच्चे को बाल मजदूरी नहीं करनी पड़े और उसे एक स्वतंत्र और सुरक्षित माहौल उपलब्ध हों। (अनुच्छेद- 32 व 34)
मुझे सभी प्रकार के शोषण से सुरक्षा पाने का अधिकार है और सभी व्यक्तियों की जिम्मेदारी है कि वे यह सुनिश्चित करें कि मेरा उपयोग किसी लाभ के लिए नहीं किया जाए। (अनुच्छेद-36)
बच्चों को प्रभावित करने वाले सभी गतिविधियों में बच्चों के सर्वोत्तम हित को प्राथमिकता दी जाएगी ।
ये सभी बाल अधिकार और जिम्मेदारियाँ, संयुक्त राष्ट्र के बाल अधिकार पर 1989 में हुए सम्मेलन में स्वीकार किये गये थे।
इसमें दुनियाभर के सभी बच्चों के लिए स्वीकृत अधिकार को शामिल किया गया है और भारत सरकार ने इस दस्तावेज पर 1992 में हस्ताक्षर किये....................
Thursday, 8 January 2015
Sunday, 7 December 2014
संस्थान के सभी पदाधिकारियों व सदस्यों को आदेशित किया जाता है कि 10 दिसम्बर विश्व मानवाधिकार दिवस के उपलक्ष्य में जनपद औरैया मे एक विशाल जागऱुकता महारैली का आयोजन किया जा रहा है संस्थान के समस्त कार्यकर्ताआें की उपस्थिति अनिवार्य है मानव अधिकारों की रक्षा सिर्फ आपकी जिम्मेदारी ही नहीं आपका करतवय भी हैःआञा से (अंकुम सिंह चौहान)अध्यक्ष कानपुर मंडल युवा शाखाराष्ट्रीय मानवाधिकार सुरक्षा संस्थान भारत (अंकुम सिंह चौहान)
Ankum Singh Chauhan
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Thursday, 30 October 2014
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