Thursday, 30 October 2014
Saturday, 9 August 2014
आज जब छोटू को होटल में प्लेट धोते देखा अपने बचपन के उसी समय में झांक कर मैंने देखा रोज नए चमचमाते बर्तनों में मिल जाता था मुझे मनचाहा खाना नहीं सोचा कभी भी कैसे चमकते हैं ये बर्तन रोजाना श्रम मेरे लिए होता था बस अपना स्कूल बैग स्कूल ले जाना और दोस्तों के साथ खेलते - खेलते थक जाना कागज के नोट तब समझ में न आते थे पिग्गी बैंक में बस सिक्के ही छनछ्नाते थे मेहनत का फल होता है मीठा माँ ने मुझे सिखाया था पर मेहनत का मतलब बस पढ़ना ही तो बताया था क्यों छोटू का बचपन, नहीं है बचपन जैसा काश! न होता इस दुनिया में कोई बच्चा ऐसा.
Ankum Singh Chauhan
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Friday, 1 August 2014
Tuesday, 29 July 2014
Saturday, 7 June 2014
Monday, 2 June 2014
Wednesday, 14 May 2014
भीषण गर्मी से से बचने के लिए मानवाधिकार संगठन ने घाट पर लगवाये छप्पर शहर के दक्षिण दिशा में स्थित यमुना नदी शेरगढ़ घाट पर अन्तिम संस्कार के लिए आने वाले लोगों को धूप में खासी परेशानी उठानी पड़ती थी। ऐसे में इस परेशानी को देखते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार सुरक्षा संगठन के पदाधिकारियों ने बुधवार को वहां पर तीन छप्पर लगवाकर राहत दिलाने का कार्य किया। // नगर व आस पास के क्षेत्र से अन्तिम संस्कार के लिए ले जाने वाले शव यमुना नदी के पावन शेरगढ़ घाट पर ले जाये जाते हैं पर अन्तिम यात्रा में शामिल लोग इस भीषण गर्मी में घाट पर धूप से बचने के लिए दर दर भटकते हैं। इस बात को संज्ञान में लेते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार सुरक्षा संस्थान की जिला इकाई की ओर से वहां पर धूप से बचने के लिए छप्परों की व्यवस्था की गयी। जिससे लोगों को धूप व गर्मी से राहत मिल सके। वहीं दूसरी ओर जागरूक होकर युगल संघ व मां दुर्गा समिति औरैया के सदस्यों द्वारा एक छप्पर का सहयोग किया गया। राष्ट्रीय मानवाधिकार सुरक्षा संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवम विश्नोई ने कहा कि औरैया के जिला होते हुए भी शेरगढ़ घाट की व्यवस्था अस्त व्यस्त है और कोई भी इस ओर ध्यान नहीं देता। न ही वहां पर कोई सफाई की व्यवस्था व सफाईकर्मी भी नहीं है। गन्दगी की बजह से यमुना नदी का जल प्रदूषित हो रहा है। प्रशासन को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। छप्परों के लग जाने से आने वाले लोगों को गर्मी से राहत मिलेगी और दाह संस्कार के चलते लोग यहां कुछ समय बिता सकेंगे। इस मौके पर संगठन के प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक भट्ट मौजूद रहे||
Ankum Singh Chauhan
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हमारा देस और समाज काफी प्रगति कर गया है और आगे कर भी रहा है लेकिन अभी भी स्त्रियो को जितना सम्मान मिलना चाहिए उतना नही मिलता है क्योकि उन्हें इतना महत्वपूर्ण नही समझा जाता है और इसी लिए गर्भ में ही उनकी हत्या कर दी जाती है लिंग परिक्षण करवाके लेकिन ऐसा नही करना चाहिए, यदि आप ऐसा सोचते है की बेटा होगा तो वह अधिक काम का होगा तो बहुत ही ग़लत सोचते है, बेटा हो या बेटी भगवान की इच्छा समझ के उसे ही स्वीकार कर लेना चाहिए, क्योकि पहेले से ही किसी बात का अंदाजा लगा लेना बहुत उचित नही कहा जा सकता है, इसी से सम्बंधित मै एक प्रेरक प्रसंग प्रस्तुत कर रहा हूँ जिससे आप को ऐसा लगे की कोई किसी से कम नही बस आपने परवरिस कैसे की है, देखभाल कैसे की है, सबकुछ इस पर आधार रखता है . हमारे देस की सक्रिय राजनीती में अभी भी एक परिवार खूब ही सक्रिय रूप से जुडा हुआ है जिसे गाँधी नेहरू परिवार के नाम से जाना जाता है , अब आप समझ गए होंगे की मेरा इशारा किस ओर है, जवाहर लाल नेहरू हारे देस के प्रथम प्रधानमंत्री है , इनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था जो बारिस्टर थे जवाहर लाल नेहरू की एक ही संतान थी जो की पुत्री थी लेकिन हमें इतिहास में कही भी ऐसा नही पता चलता है की जवाहर लाल नेहरू को कभी भी इस बात से कोई समस्या रही हो की कोई बेटा क्यो नही हुआ क्या वो चाहते तो कोई बेटा गोद नही ले सकते थे या फिर कोई दूसरी शादी नही कर सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नही किया भगवन ने उन्हें जो दिया इस मामले में यही कहूँगा की उन्होंने उसे ही स्वीकार कर लिया, वैसे तो अब आप समझ ही गए होंगे की मै किसकी बात कर रहा हूँ लेकिन फिर भी नाम बता ही दूँ, तो जवाहर लाल नेहरू को एक ही पुत्री रत्न की प्राप्ति हुई थी जिनका नाम इंदिरा गाँधी था, अब मै यह विचार करता हूँ की यदि जवाहर जी को पुत्री की जगह कोई पुत्र प्राप्त हुआ होता तो क्या वह इंदिरा गांघी के जितना नाम कर पाता या फिर इतनी निदारत से फैसले ले पाता….. इसीलिए मेरा ऐसा मानना है की यदि आप अपने बच्चो को सही से पढाते लिखाते है उन्हें देस दुनिया का सही से परिचय कराते हैं उनकी समस्याओ को समझ करके उसका समाधान करते है तो और बेटी को संकुचित द्रिस्टीसे नही देखते है तो आप को अपनी जिन्दगी में कभी भी ऐसा नही लगेगा की हमारा कोई बेटा नही है बल्कि बेटा और बेटी में आप को अन्तर दिखेगा ही नही साथ ही आपका नाम भी रोशन होगा और इस देस का भी|\\\
Ankum Singh Chauhan
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Jo Beti Ko De Pehchaan, Mata Pita Wahi Mahan. . Beti Ka Jeevan Bachao, Manav Dooniya Mein Kehlao. . Beti Kudrat Ka Uphaar, Nhi Kro Ushka Tarishkaar. . Putron Se Putri Badkar, Mata Pita Ki Kre Phikar, Krti Sache Dil Se Pyaar, Phir Ho Uska Kyun Tarishkaar. . Har Kchetra Mein Ladki Aage, Phir Kyun Ham Ladki Se Bhaageyn. . Jish Ghar Mein Beti Aai, Samjho Savyen Laxmi Aai. . Beti Toh Ghar Mein Jaroori Hai, Vo Nhi Koi Majboori Hai. . Beti Ko Samman Do, Jeevan Ushko Daan Do. . Beton Se Bhi Beti Bhali, Kyun Janam Se Purav Ushki Bali.............
Ankum Singh Chauhan
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